रंगभरनी एकादशी पर वृंदावन में रंगों से खेली जाने वाली होली की शुरूआत हुई। होली की रंगीली फुहार सुबह पांच हजार से अधिक मंदिरों में शुरु हुई तो भक्त कान्हा संग होली खेल निहाल हो गये।
बांके बिहारी मंदिर में सुबह आरती के बाद जैसे ही जय कन्हैया लाल की जयकार लगी भक्तों और सेवायतों ने चटकीले रंग, अबीर और गुलाल की वर्षा शुरू कर दी। लोगों ने प्रेम भाव में एक दूसरे को गुलाल लगाया तो घंटों रंग मंदिर प्रांगण में उडता रहा। जिस पर रंग गिरा वह भी निहाल और जिस पर नहीं गिरा वह भी खुशहाल। भक्तिभाव में डूबे श्रद्वालु प्रिय कान्हा संग होली खेलने को मंदिर में खडे रहना चाहते थे लेकिन व्यवस्था ऐसी कि निजी गार्ड सबको विधिवत दर्शन के बाद ज्यादा देर खडे़ न रहने की ताकीद देते विनम्रता से करते देखे गये।
सड़कों पर उड़ा रंग और गुलाल
परंपरा के अनुसार एकादशी से वृंदावन में होली पर्व और रंग खेलने की शुरुआत हो जाती है। परंपरा भले ही सैकडों साल पुरानी है लेकिन इसमें कोई कोताही नहीं होती। आज के दिन कोई भी ब्रजवासी और बाहरी शहरों से आने वाले भक्त रंग में सराबोर होने को लालायित रहे। शहर की कुंज गलिया हों या पिफर सड़कें या पिफर परिक्रमा मार्ग सभी जगह रंग ही रग बिखराता रहा।
पिचकारी से खेली बांके बिहारी ने होली
बांके बिहारी मंदिर में बिहारीजी अबीर गुलाल के बाद रंगों से सैकड़ों साल पुरानी और विशाल पिचकारी से होली खेली। मंदिर के सेवायतों ने बताया कि सुबह रंग गुलाल, अबीर और दोपहर को रंग से बिहारीजी के साथ भक्तों ने होली खेली। ऐसे में देसी श्रद्वालुओं के साथ विदेशी भी निहाल हो जय श्रीकृष्णा के जयकार लगाते देखे गये।
पांच लाख की भीड़ से सड़कें जाम
वृंदावन में बुधवार को भक्तों की भीड़ का प्रभाव बडे पैमाने पर देखा गया। करीब पांच लाख लोगों की भीड के आने का अनुमान लगाया जा रहा है। भीड़ के कारण सड़को और गलियों तक में जगह जगह जाम के हालात बनते रहे। जब कि सप्त देवालयों के आसपास और ठा. बांके बिहारी मंदिर जाने वाले मार्गो दुसायत, वीआइपी पार्किंग, विध्यापीठ, हरिनिकुज, रतन छतरी, रमणरेती, गांधी मार्ग, किशोरपुरा में भारी भीड़ देखी गई।
बांके बिहारी मंदिर में सुबह आरती के बाद जैसे ही जय कन्हैया लाल की जयकार लगी भक्तों और सेवायतों ने चटकीले रंग, अबीर और गुलाल की वर्षा शुरू कर दी। लोगों ने प्रेम भाव में एक दूसरे को गुलाल लगाया तो घंटों रंग मंदिर प्रांगण में उडता रहा। जिस पर रंग गिरा वह भी निहाल और जिस पर नहीं गिरा वह भी खुशहाल। भक्तिभाव में डूबे श्रद्वालु प्रिय कान्हा संग होली खेलने को मंदिर में खडे रहना चाहते थे लेकिन व्यवस्था ऐसी कि निजी गार्ड सबको विधिवत दर्शन के बाद ज्यादा देर खडे़ न रहने की ताकीद देते विनम्रता से करते देखे गये।
सड़कों पर उड़ा रंग और गुलाल
परंपरा के अनुसार एकादशी से वृंदावन में होली पर्व और रंग खेलने की शुरुआत हो जाती है। परंपरा भले ही सैकडों साल पुरानी है लेकिन इसमें कोई कोताही नहीं होती। आज के दिन कोई भी ब्रजवासी और बाहरी शहरों से आने वाले भक्त रंग में सराबोर होने को लालायित रहे। शहर की कुंज गलिया हों या पिफर सड़कें या पिफर परिक्रमा मार्ग सभी जगह रंग ही रग बिखराता रहा।
पिचकारी से खेली बांके बिहारी ने होली
बांके बिहारी मंदिर में बिहारीजी अबीर गुलाल के बाद रंगों से सैकड़ों साल पुरानी और विशाल पिचकारी से होली खेली। मंदिर के सेवायतों ने बताया कि सुबह रंग गुलाल, अबीर और दोपहर को रंग से बिहारीजी के साथ भक्तों ने होली खेली। ऐसे में देसी श्रद्वालुओं के साथ विदेशी भी निहाल हो जय श्रीकृष्णा के जयकार लगाते देखे गये।
पांच लाख की भीड़ से सड़कें जाम
वृंदावन में बुधवार को भक्तों की भीड़ का प्रभाव बडे पैमाने पर देखा गया। करीब पांच लाख लोगों की भीड के आने का अनुमान लगाया जा रहा है। भीड़ के कारण सड़को और गलियों तक में जगह जगह जाम के हालात बनते रहे। जब कि सप्त देवालयों के आसपास और ठा. बांके बिहारी मंदिर जाने वाले मार्गो दुसायत, वीआइपी पार्किंग, विध्यापीठ, हरिनिकुज, रतन छतरी, रमणरेती, गांधी मार्ग, किशोरपुरा में भारी भीड़ देखी गई।
Source: Spiritual News in Hindi & Hindi Panchang
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