गंगोत्री व यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही दोनों धामों में मानव हलचल भी शुरू हो गई है। हालांकि दोनों धामों में कपाट खुलने पर इस बार पहले जैसी रौनक नजर नहीं आई। जो यात्री पहले दिन यहां पहुंचे वे भी खामियों से निराश नजर आए।
शुक्रवार की सुबह जब गंगोत्री धाम के कपाट खुले तो मंदिर परिसर में एक हजार से अधिक लोग मौजूद रहे। इनमें करीब सौ यात्री बाहर के व अन्य स्थानीय श्रद्धालु, व्यवसायी, कर्मचारी व साधू संत शामिल थे। कम तादाद के बावजूद श्रद्धालुओं को गंगोत्री में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। देहरादून से पहुंचे रमेश कुमार व कनाडा से पहुंची एड्रोईया ने बताया कि यात्रा को जैसा सरकार ने प्रोजेक्ट किया है, वैसा कुछ भी नहीं है। यहां का कुदरती सौंदर्य अनोखा है, लेकिन सुविधाएं निराश करती हैं।
अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट खुले-
अक्षय तृतीया पर्व पर डोडीताल स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट भी श्रद्धालुओं के लिए खोले। बीते गुरुवार को ही केलसू क्षेत्र के लोग देवडोलियों के साथ डोडीताल पहुंच गए थे। अगोड़ा, गजोली, आदि से भी लोग आराध्यों की डोलियों को साथ ले गए।
यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के मौके पर एक बार फिर विवाद की छाया दिखाई पड़ी। पहले से नियत समय को बदलकर अंतिम समय पर कपाट खोले जाने का मुहूर्त बदल दिया गया। हालांकि तीर्थ पुरोहित इसके पीछे अभिजीत मुहुर्त बता रहे हैं, लेकिन दबी जुबान में मंदिर समिति में चल रहे विवाद को कारण बताया जा रहा है।
शुक्रवार की सुबह तक यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों के गांव खरसाली में डोली यात्रा की तैयारियां पूरी कर ली गई थी। सुबह आठ बजे जैसे ही यमुना व शनिदेव की डोलियां उठाई जाने लगी तो कुछ तीर्थ पुरोहितों में आपस में सुगबुगाहट होने लगी। कुछ ही देर में पुरोहित परिवार से जुड़े एक सदस्य ने धाम के कपाट खुलने का समय दोपहर 11.55 के स्थान पर 12.25 किए जाने की ऐलान कर डाला। इसके बाद डोली यात्रा यमुनोत्री की ओर रवाना हो गई। इससे पहले यमुनोत्री धाम में भी कपाट खुलने के समय को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा बनी रही। हालांकि पुरोहितों ने पंचांग के अनुसार ही समय बदले जाने की बात कही। बता दें कि इसी विवाद के चलते बीते साल तक धाम में दो समानांतर मंदिर समितियां खड़ी हो गई थी।
शुक्रवार की सुबह जब गंगोत्री धाम के कपाट खुले तो मंदिर परिसर में एक हजार से अधिक लोग मौजूद रहे। इनमें करीब सौ यात्री बाहर के व अन्य स्थानीय श्रद्धालु, व्यवसायी, कर्मचारी व साधू संत शामिल थे। कम तादाद के बावजूद श्रद्धालुओं को गंगोत्री में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। देहरादून से पहुंचे रमेश कुमार व कनाडा से पहुंची एड्रोईया ने बताया कि यात्रा को जैसा सरकार ने प्रोजेक्ट किया है, वैसा कुछ भी नहीं है। यहां का कुदरती सौंदर्य अनोखा है, लेकिन सुविधाएं निराश करती हैं।
अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट खुले-
अक्षय तृतीया पर्व पर डोडीताल स्थित मां अन्नपूर्णा मंदिर के कपाट भी श्रद्धालुओं के लिए खोले। बीते गुरुवार को ही केलसू क्षेत्र के लोग देवडोलियों के साथ डोडीताल पहुंच गए थे। अगोड़ा, गजोली, आदि से भी लोग आराध्यों की डोलियों को साथ ले गए।
यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के मौके पर एक बार फिर विवाद की छाया दिखाई पड़ी। पहले से नियत समय को बदलकर अंतिम समय पर कपाट खोले जाने का मुहूर्त बदल दिया गया। हालांकि तीर्थ पुरोहित इसके पीछे अभिजीत मुहुर्त बता रहे हैं, लेकिन दबी जुबान में मंदिर समिति में चल रहे विवाद को कारण बताया जा रहा है।
शुक्रवार की सुबह तक यमुनोत्री के तीर्थ पुरोहितों के गांव खरसाली में डोली यात्रा की तैयारियां पूरी कर ली गई थी। सुबह आठ बजे जैसे ही यमुना व शनिदेव की डोलियां उठाई जाने लगी तो कुछ तीर्थ पुरोहितों में आपस में सुगबुगाहट होने लगी। कुछ ही देर में पुरोहित परिवार से जुड़े एक सदस्य ने धाम के कपाट खुलने का समय दोपहर 11.55 के स्थान पर 12.25 किए जाने की ऐलान कर डाला। इसके बाद डोली यात्रा यमुनोत्री की ओर रवाना हो गई। इससे पहले यमुनोत्री धाम में भी कपाट खुलने के समय को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा बनी रही। हालांकि पुरोहितों ने पंचांग के अनुसार ही समय बदले जाने की बात कही। बता दें कि इसी विवाद के चलते बीते साल तक धाम में दो समानांतर मंदिर समितियां खड़ी हो गई थी।
Source: Spiritual News in Hindi & Hindi Panchang
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