Wednesday, 15 June 2016

ये हैं प्रशांत पटेल, जिनकी वजह से खतरे में है 21 आप विधायकों की सदस्यता

जिन 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को लेकर केजरीवाल सरकार फंस गई है आखिर उसकी बुनियाद कैसे पड़ी। राष्ट्रपति तक कैसे पहुंचा यह सारा मामला। आइए जानते हैं, उस शख्स का नाम जिसने दिल्ली की सियासत में भूूचाल खड़ा कर दिया। जी हां, वह प्रशांत पटेल हैं। इनकी वजह से आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

दरअसल, एक गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) की तरफ से हाईकोर्ट में इस नियुक्ति को चुनौती दी गई, जिसमें कहा गया था कि संसदीय सचिव के पद पर आप के 21 विधायकों की नियुक्ति असंवैधानिक है। इसके बाद वकील प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास एक याचिका लगाई। इन्हीं प्रशांत पटेल की याचिका पर केजरीवाल को झटका लगा है।

प्रशांत पटेल की यह थी दलील

1. राष्ट्रपति को दी गई याचिका में कहा गया था कि संसदीय सचिव सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें मंत्री के ऑफिस में जगह दी गई है। इस तरह से वे लाभ के पद पर हैं।

2. संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ऐक्ट 1991 की धारा 15 के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लाभ के पद पर है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है।

3. संसदीय सचिव शब्द दिल्ली विधानसभा की नियमावली में है ही नहीं। वहां केवल मंत्री शब्द का जिक्र किया गया है।

4.दिल्ली विधानसभा ने संसदीय सचिव को लाभ के पद से बाहर नहीं रखा है।

यहां पर याद दिला दें कि दिल्ली सरकार ने 2015 में अलग-अलग विभागों में काम काज का जायजा लेने के लिए संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी। हलांकि ये नियुक्ति शुरुआत से ही विवादों में रही। ऐसा नहीं है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ही ऐसे संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी।

इससे पहले भाजपा के शासनकाल में एक जबकि शीला दीक्षित के शासनकाल में पहले एक और फिर बाद में तीन संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी। लेकिन AAP सरकार इनसब से काफी आगे निकल गई और संसदीय सचिवों की गिनती सीधे 21 पर पहुंच गई।

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