चीन ने भारत पर अारोप लगाते हुए कहा कि एनएसजी मुद्दे पर हमें बदनाम किया जा रहा है। उसे एेसा नहीं करना चाहिए। भारत की अोर से परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन को दोषी ठहराया जा रहा है।
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक संपादकीय में लिखा है कि भारतीय जनता और भारतीय मीडिया एनएसजी का सदस्य न बन पाने पर चीन पर अंगुली उठा रहा है। जबकि, सियोल में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की पूर्ण बैठक में कई अन्य देश एनटीपी के मुद्दे पर भारत का विरोध किया था।
संपादकीय में ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय नागरिक और इंडियन मीडिया दोनों पर निशाना साधा है। इसके पहले पिछले हफ्ते भी ग्लोबल टाइम्स ने इन दोनों पर तीखी उंगली उठाई थी। ग्लोबल टाइम्स ने बाताया था कि चीन साउथ कोरिया की राजधानी सोल में एनएसजी की समग्र बैठक में भारत का विरोध क्यों कर रहा था। उसने यह भी बताया था कि केवल चीन ही नहीं बल्कि 10 और देश भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे थे।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा, 'सोल में एनएसजी की समग्र बैठक में भारत की सदस्यता को लेकर जो नतीजे आए उसे भारतीय नागरिक स्वीकार नहीं करना चाहते। ज्यादातर इंडियन मीडिया में चीन पर अारोप लगाया गया कि उसने भारत का विरोध किया। चीन को भारत विरोधी बताया गया और पाकिस्तान समर्थक।' कुछ इसी तरह पहले भी ग्लोबल टाइम्स ने भारतीयों और भारतीय मीडिया पर निशाना साधा था। तब उसने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि भारत के राष्ट्रवादियों को व्यवहार करना सीखना चाहिए। ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि ये भारतीय अपने देश को सुपरपावर बनते देखना चाहते हैं लेकिन इन्हें यह नहीं पता है कि दुनिया की बड़ी ताकतें कैसे खेल खेलती हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने एक बार फिर से कहा है कि इंडिया को एनएसजी की सदस्यता नहीं मिलनी चाहिए। इस अखबार ने संपादकीय में लिखा है, 'जो देश एनएसजी में शामिल होना चाहते हैं उन्हें पहले परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करना होगा। भारत ने एनपीटी (परमाणु हथियारों के अप्रसार) पर हस्ताक्षर नहीं किया है। भारत के लिए इस किस्म के अपवाद को लाया जा सकता है लेकिन अन्य नॉन एनपीटी देशों को लेकर भी चीन का रुख ऐसा ही होगा।' चीन का कहना है कि भारत पहले एनपीटी पर हस्ताक्षर करे फिर एनएसजी में सदस्यता हासिल करने की कोशिश करे। Read more http://www.jagran.com/
चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक संपादकीय में लिखा है कि भारतीय जनता और भारतीय मीडिया एनएसजी का सदस्य न बन पाने पर चीन पर अंगुली उठा रहा है। जबकि, सियोल में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की पूर्ण बैठक में कई अन्य देश एनटीपी के मुद्दे पर भारत का विरोध किया था।
संपादकीय में ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय नागरिक और इंडियन मीडिया दोनों पर निशाना साधा है। इसके पहले पिछले हफ्ते भी ग्लोबल टाइम्स ने इन दोनों पर तीखी उंगली उठाई थी। ग्लोबल टाइम्स ने बाताया था कि चीन साउथ कोरिया की राजधानी सोल में एनएसजी की समग्र बैठक में भारत का विरोध क्यों कर रहा था। उसने यह भी बताया था कि केवल चीन ही नहीं बल्कि 10 और देश भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे थे।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा, 'सोल में एनएसजी की समग्र बैठक में भारत की सदस्यता को लेकर जो नतीजे आए उसे भारतीय नागरिक स्वीकार नहीं करना चाहते। ज्यादातर इंडियन मीडिया में चीन पर अारोप लगाया गया कि उसने भारत का विरोध किया। चीन को भारत विरोधी बताया गया और पाकिस्तान समर्थक।' कुछ इसी तरह पहले भी ग्लोबल टाइम्स ने भारतीयों और भारतीय मीडिया पर निशाना साधा था। तब उसने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि भारत के राष्ट्रवादियों को व्यवहार करना सीखना चाहिए। ग्लोबल टाइम्स ने कहा था कि ये भारतीय अपने देश को सुपरपावर बनते देखना चाहते हैं लेकिन इन्हें यह नहीं पता है कि दुनिया की बड़ी ताकतें कैसे खेल खेलती हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने एक बार फिर से कहा है कि इंडिया को एनएसजी की सदस्यता नहीं मिलनी चाहिए। इस अखबार ने संपादकीय में लिखा है, 'जो देश एनएसजी में शामिल होना चाहते हैं उन्हें पहले परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करना होगा। भारत ने एनपीटी (परमाणु हथियारों के अप्रसार) पर हस्ताक्षर नहीं किया है। भारत के लिए इस किस्म के अपवाद को लाया जा सकता है लेकिन अन्य नॉन एनपीटी देशों को लेकर भी चीन का रुख ऐसा ही होगा।' चीन का कहना है कि भारत पहले एनपीटी पर हस्ताक्षर करे फिर एनएसजी में सदस्यता हासिल करने की कोशिश करे। Read more http://www.jagran.com/
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