Monday, 27 June 2016

भारत से लड़कर कभी भी कश्‍मीर नहीं जीत सकेगा पाकिस्‍तान: हिना रब्‍बानी

पाकिस्तान की पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने कहा है कि पाकिस्तान कभी भी भारत से युद्ध कर कश्मीर को नहीं पा सकता है। इसके लिए भारत से सिर्फ संबंधों को सुधारना और वार्ता को जारी रखना ही एकमात्र जरिया हो सकता है। रब्बानी ने यह बातें पाकिस्तान के एक न्यूज चैनल पर इंटरव्यू के दौरान कहीं। पाकिस्तान के अखबार द डॉन के मुताबिक उन्होंने इस इंटरव्यू में यह भी कहा कि पाकिस्तान को इसके लिए अनुकूल माहौल बनाना होगा और भारत से बातचीत जारी रखनी होगी।

कश्मीर के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि युद्ध इसका उपाय नहीं है, इसलिए बातचीत ही एकमात्र उपाय है। यह तभी संभव है जब हमारे संबंध भारत के साथ सामान्य होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और पाक को एक दूसरे पर विश्वास करते हुए इस मुद्दे पर आगे बढ़ने की जरूरत है। खार ने कहा कि पीपीपी सरकार भारत के साथ रिश्तों को सुधारने के लिए काफी प्रयास किए। इसके लिए सरकार ने वीजा नियमों में भी कुछ छूट दी और दोनों देशों के बीच व्यापार को सुधारने के लिए भी काफी कदम उठाए। उन्होंंने साफ कहा कि दोनों देशों के बीच यह मुद्दा वर्षों पुराना है और यह किसी भी तरह से सही माहौल बनाए बिना इसको सुलझाया नहीं जा सकता है।

गौरतलब है कि हिना रब्बानी खार वर्ष 2011 से 2013 तक पाकिस्तान की विदेश मंत्री रही थीं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर लगातार बातचीत के जरिए किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है। विदेश नीति मे फौज का अधिक प्रभाव होने के सवाल पर उनका कहना था कि एक डिप्लोमेट के नाते कई सारी चीजें जारी रहती हैं और सभी को साथ लेकर बैलेंस बनाते हुए आगे बढ़ा जाता हैै।

भारत की मौजूदा भाजपा सरकार पर अपनी राय देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का मानना है कि भारत में भारतीय जनता पार्टी की सरकार रहते हुए और पाकिस्तान में फौज की हुकूमत रहते हुए कश्मीर का मुद्दा कभी नहीं सुलझ सकेगा। उनका कहना था कि वह मानती हैं कि मुशर्रफ ने अपनी सरकार के दौरान भारत को इस विषय पर काफी ढ़ील दी थी।

पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में चीन की दखल को रोकने के लिए अमेरिका भारत को बेहतर सहयोगी मानता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के भारत की ओर झुकने की एक बड़ी वजह है कि वहां पर देश की जनता की चुनी हुई सरकार है न कि फौज की हुकूमत चलती है। भारत में आज भी डेमाेक्रेटिक ट्रेडिशन मौजूद है।

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